तमिलनाडु : PM मोदी के ध्यान के खिलाफ तमिलनाडु कांग्रेस ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

PM मोदी गुरुवार शाम को कन्याकुमारी पहुंचे थे। सबसे पहले भगवती देवी अम्मन मंदिर में दर्शन-पूजन किया। पूजा के दौरान मोदी ने सफेद मुंडु और शॉल पहना था। पुजारियों ने उनसे विशेष आरती कराई। प्रसाद, शॉल और देवी की तस्वीर दी।
तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी ने मद्रास हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि प्रधानमंत्री की विवेकानंद रॉक यात्रा पर कोई आपत्ति नहीं कर सकता है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के 7वें फेज के कूलिंग पीरियड के दौरान उनकी यात्रा हिंदू भावनाओं को भड़काने और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके वोट हासिल करने की कोशिश है। इसलिए इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
मोदी के कन्याकुमारी दौरे को लेकर एक संगठन थंगथाई पेरियार द्रविड़र कड़गम ने गुरुवार को मदुरै में प्रधानमंत्री के विरोध में काले झंडे दिखाए। इसी संगठन ने X पर #गोबैकमोदी (मोदी वापस जाओ) पोस्ट किया है।
चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री की ध्यान यात्रा करने पर चुनावी कानून के तहत कोई रोक नहीं है। चुनाव आयोग ने इसी तरह की अनुमति 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी पीएम को दी थी।
लोगो ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 का हवाला दिया। इसमें मौन अवधि (साइलेंट पीरियड) के दौरान सार्वजनिक बैठकों या जनता के बीच चुनावी प्रचार और प्रदर्शन पर रोक का उल्लेख है।
साइलेंट पीरियड मतदान प्रचार खत्म होने से वोटिंग खत्म होने तक का समय होता है। जानकारों के मुताबिक, इस कानून में वह क्षेत्र ही आता है, जहां वोटिंग होना है।
तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी ने मद्रास हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि प्रधानमंत्री की विवेकानंद रॉक यात्रा पर कोई आपत्ति नहीं कर सकता है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के 7वें फेज के कूलिंग पीरियड के दौरान उनकी यात्रा हिंदू भावनाओं को भड़काने और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके वोट हासिल करने की कोशिश है। इसलिए इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
मोदी के कन्याकुमारी दौरे को लेकर एक संगठन थंगथाई पेरियार द्रविड़र कड़गम ने गुरुवार को मदुरै में प्रधानमंत्री के विरोध में काले झंडे दिखाए। इसी संगठन ने X पर #गोबैकमोदी (मोदी वापस जाओ) पोस्ट किया है।
चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री की ध्यान यात्रा करने पर चुनावी कानून के तहत कोई रोक नहीं है। चुनाव आयोग ने इसी तरह की अनुमति 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी पीएम को दी थी।
लोगो ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 का हवाला दिया। इसमें मौन अवधि (साइलेंट पीरियड) के दौरान सार्वजनिक बैठकों या जनता के बीच चुनावी प्रचार और प्रदर्शन पर रोक का उल्लेख है।
साइलेंट पीरियड मतदान प्रचार खत्म होने से वोटिंग खत्म होने तक का समय होता है। जानकारों के मुताबिक, इस कानून में वह क्षेत्र ही आता है, जहां वोटिंग होना है।