सहमति से सेक्स करने की उम्र 16 साल करने पर छिड़ी बहस, जानिए अभी क्या है लीगल

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सहमति से सेक्स करने की उम्र 16 साल करने पर छिड़ी बहस, जानिए अभी क्या है लीगल

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सहमति से सेक्स की उम्र 18 होनी चाहिए या 16 साल, अब इस मुद्दे पर बहस हो रही है। गुरुवार को राज्यसभा में एनसीपी सांसद वंदन चव्हाण ने सरकार से मांग की कि पॉक्सो एक्ट में संशोधन किया जाए और सहमित से सेक्स की उम्र को घटाया जाए। लेकिन संसद में सरकार साफ कर चुकी है कि सेक्स की उम्र नहीं घटाई जाएगी।
 

चलिए आपको बताते हैं कि 2012 में लागू हुए पॉक्सो एक्ट में सेक्स से रिलेटेड क्या क्या प्रोविजन्स दिए गए हैं। पॉक्सो यानि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट। इसके तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चा माना गया है। इसी कानून में सहमित से सेक्स की उम्र 18 साल निर्धारित की गई है। यानि कि अगर 18 साल की कम उम्र में कोई लड़की अपनी मर्जी से सेक्स करती है तो भी ऐसे मामलों में लड़कों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उस पर रेक केस चलाया जाता है। यानि कि 18 साल से कम उम्र वाले युवक-युवतियों की संबंधों को लेकर मर्जी मायने नहीं रखती।
 

चलिए जानते हैं कि आखिर सहमति से सेक्स की उम्र 18 साल कैसे निर्धारित की गई?
साल 1889 में 10 साल की फूलमोनी दास की मौत हो गई थी क्योंकि उसके 35 साल के पति ने उससे जबरन संबंध बनाने की कोशिश की। उस समय सहमित से सेक्स की उम्र 10 साल थी लेकिन बाद में इसे बढा कर 12 साल कर दिया गया। आजादी के बाद महिलाओं के कम उम्र में गर्भवती होने पर उम्र 15 कर दी गई। इसके बाद 1983 में सहमति की उम्र 16 कर दी गई। 2012 में पॉक्सो एक्ट आया और इसके तहत सहमति से सेक्स की उम्र को बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया।

 

वहीं सहमति से सेक्स की उम्र को लेकर कई बार अदालतें भी सवाल उठा चुकी हैं। 13 नवंबर को एक 17 साल की लड़की के साथ सहमति से संबंध बनाने के मामले में गिरफ्तार हुए लड़के दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी और कहा था कि पॉक्सो एक्ट का मकसद बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, न कि किशोरों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना। 
इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी कहा था कि 16 साल की नाबालिग लड़कियों के प्यार करने और प्रेमी के साथ सहमति से संबंध बनाने के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में लॉ कमीशन को सेक्स के लिए सहमति की उम्र पर एक बार फिर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी कह चुके हैं कि संसद को पॉक्सो एक्ट के तहत सहमति से सेक्स की उम्र पर विचार करना चाहिए।

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