हरियाणा : 3 नई किस्मों से बढ़ेगी गन्नों में मिठास; चीनी की मात्रा में होगी बढ़ोत्तरी

हरियाणा प्रदेश में कम पैदावार और लाल सड़न रोग के कारण किसानों का गन्ना बिजाई से मोह घटता जा रहा है। पिछले ढाई दशक में गन्ना बिजाई का रकबा आधा रह गया है। लाल सड़न रोग की रोकथाम के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) की यूनिवर्सिटी रिलीज कमेटी ने नई किस्म सीओएच 176 को मंजूरी के लिए प्रदेश सरकार को भेजा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह किस्म प्रति एकड़ 550-600 क्विंटल पैदावार देगी। इसके अलावा सीओएच 179 को उत्तर भारत के लिए जारी करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है और सीओएच 188 किस्म भी जल्द ही रिलीज करने की तैयारी है। ये तीनों किस्में लाल सड़न रोग से लड़ने में सक्षम हैं। अगले साल फरवरी में इनके बीज किसानों को उपलब्ध कराने की तैयारी है।
गन्ना उत्पादन में हरियाणा देश में 8वें नंबर पर है। पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश में लाल सड़न रोग के कारण गन्ने का रकबा प्रभावित हुआ है। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 25 साल पहले 1999 में प्रदेश में गन्ने का रकबा 2,01,000 हेक्टयेर था, जो वर्ष 2010 आते-आते 74,000 हेक्टेयर तक आ गया। सत्र 2023-2024 में महज 99000 हेक्टेयर में गन्ना बिजाई की गई है।
लाल सड़न रोग की रोकथाम के लिए एचएयू के वैज्ञानिक पिछले 30 साल से काम कर रहे हैं। अब तीन नई किस्में रिलीज करने की तैयारी की है। सबसे पहले सीओएच 176 बाजार में आएगी। इसे प्रदेश सरकार की ओर से फरवरी तक मंजूरी मिलने की संभावना है। कुछ मात्रा में इसका बीज कैथल जिले के कौल सेंटर से किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
गन्ना उत्पादन में हरियाणा देश में 8वें नंबर पर है। पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश में लाल सड़न रोग के कारण गन्ने का रकबा प्रभावित हुआ है। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 25 साल पहले 1999 में प्रदेश में गन्ने का रकबा 2,01,000 हेक्टयेर था, जो वर्ष 2010 आते-आते 74,000 हेक्टेयर तक आ गया। सत्र 2023-2024 में महज 99000 हेक्टेयर में गन्ना बिजाई की गई है।
लाल सड़न रोग की रोकथाम के लिए एचएयू के वैज्ञानिक पिछले 30 साल से काम कर रहे हैं। अब तीन नई किस्में रिलीज करने की तैयारी की है। सबसे पहले सीओएच 176 बाजार में आएगी। इसे प्रदेश सरकार की ओर से फरवरी तक मंजूरी मिलने की संभावना है। कुछ मात्रा में इसका बीज कैथल जिले के कौल सेंटर से किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।