करनाल में अभिभावक ने स्कूल पर किया मुकदमा: सर्टिफिकेट और माइग्रेशन के नाम पर वसूली, पैसे न देने पर धमकी
k9 media
करनाल जिले के घरौंडा में एक छात्र के अभिभावक ने अदालत में मामला दायर कर आरोप लगाया है कि निजी स्कूल ने उनसे अवैध रूप से 750 रुपये की वसूली की है| पीड़ित अभिभावक मनोज कुमार का दावा है कि उन्होंने पार्थ पब्लिक स्कूल से अपने बेटे हार्दिक का चरित्र प्रमाण पत्र, एलओआर (लेटर ऑफ रिकमेंडेशन) और माइग्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए 750 रुपए का भुगतान किया था। स्कूल ने यह रकम सीबीएसई फीस के तौर पर वसूल की थी लेकिन जब रसीद मांगी गई तो कोई सबूत नहीं दिया गया। मनोज कुमार ने इसकी शिकायत खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी की। वहीं से जांच शुरू हुई| शिक्षा अधिकारी ने स्कूल को तलब किया, जिसके बाद स्कूल ने इसे एक क्लेरिकल मिस्टेक करार दिया। मनोज कुमार का कहना है कि यह कोई गलती नहीं है बल्कि जानबूझकर की गई वसूली है, जैसा कि 21 बच्चों के साथ हुआ। विभागीय कार्रवाई से असंतुष्ट होकर, मनोज अदालत गए और उन्हें उम्मीद है कि अदालत उनके खिलाफ जीत हासिल करेगी।
अभिभावक का बयान
पीड़ित मनोज कुमार ने बताया कि उनके बेटे हार्दिक ने पार्थ पब्लिक स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पूरी की थी| जब वह अपने बेटे का चरित्र प्रमाणपत्र, माइग्रेशन सर्टिफिकेट और एलओआर लेने गई तो स्कूल ने इन प्रमाणपत्रों के लिए उससे 750 रुपये वसूल लिए। अन्य स्कूलों और अधिकारियों से पूछताछ में पता चला कि ये फीस वसूलने की कोई योजना नहीं है। हालाँकि, स्कूल ने धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए गए, तो कैरेक्टर सर्टिफिकेट सही तरीके से नहीं बनाया जाएगा। दबाव में आकर मनोज कुमार ने 750 रुपये का भुगतान कर दिया, लेकिन जब उन्होंने रसीद मांगी तो स्कूल ने कोई दस्तावेज पेश नहीं किया| मनोज ने इसकी शिकायत शिक्षा बोर्ड अधिकारी (बीईओ) से की। इसमें स्कूल ने माना कि 21 बच्चों से गलत तरीके से पैसे लिए गए हैं और यह पैसा उन्हें लौटाया जाएगा। हालाँकि, मनोज ने आरोप लगाया कि उन्हें BEO से 21 बच्चों की रिपोर्ट नहीं दी गई और स्कूल के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत
मनोज कुमार मामले के वकील पराग विग ने कहा कि मामले में न सिर्फ अवैध तरीके से पैसा वसूला गया, बल्कि कोई रसीद भी पेश नहीं की गयी| बीईओ से शिकायत के बावजूद स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मनोज ने कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई।वकील विग ने कहा कि यह केवल 750 रुपए की बात नहीं है, बल्कि स्कूल द्वारा पिता के साथ किए गए दुर्व्यवहार की भी बात है, जिसका बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मामले में कोर्ट की सुनवाई के बाद ही पता चलेगा कि स्कूल और संबंधित पक्षों को समन प्राप्त हुए हैं या नहीं।