जींद : CRPF अधिकारियो ने किया शहीद की बेटी का कन्यादान; पिता 2015 में हुए थे शहीद
हरियाणा के जींद के उचाना के छातर गांव में शनिवार को शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी हुई। वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बरात का स्वागत किया। सीआरपीएफ अधिकारी ने पिता का फर्ज निभाते हुए कन्यादान किया। पूरे गांव ने बेटी को आशीर्वाद देकर विदा किया।
शहीद सतीश की बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो, इसके लिए ग्रुप सेंटर सोनीपत से डीआईजी कोमल सिंह, डिप्टी कमांडेंट वेदपाल व अस्सिटेंट कमाडेंट कृष्ण कुमार व जवान पहुंचे। गांव में सुबह ही सीआरपीएफ के अधिकारी व जवान पहुंचने से शादी का माहौल बदल गया।
छातर गांव निवासी सतीश कुमार सीआरपीएफ में सिपाही थे और जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। सतीश कुमार 20 मार्च 2015 को राज भाग थाना कठुआ जम्मू में शहीद हो गए थे। शहीद की बेटी निशा की शादी की जानकारी ग्रुप सेंटर सोनीपत को लगी तो उन्होंने बेटी की शादी में पिता की हर भूमिका निभाने की ठानी। शादी के दिन 23 नवंबर को छातर गांव में अपनी टीम के साथ पहुंचे। यहां पर बरात आने से लेकर विदाई तक हर सैनिक मुस्तैद रहा।
सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आकर शादी में बेटी के लिए पिता व बहन के लिए निभाई जाने वाली सभी रस्मों को अपने हाथों से निभाया। इसमें फेरे लेने से पहले वह फेरे लेते समय देने वाली रस्में, शादी के दौरान बहन व बेटी को स्टेज पर शादी के मंडप में बैठाने तक का हर कार्य किया। सीआरपीएफ टुकड़ी के साथ पूरे गांव ने बेटी को आशीर्वाद देकर विदा किया और उसके मंगल भविष्य की कामना की।
शहीद सतीश की बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो, इसके लिए ग्रुप सेंटर सोनीपत से डीआईजी कोमल सिंह, डिप्टी कमांडेंट वेदपाल व अस्सिटेंट कमाडेंट कृष्ण कुमार व जवान पहुंचे। गांव में सुबह ही सीआरपीएफ के अधिकारी व जवान पहुंचने से शादी का माहौल बदल गया।
छातर गांव निवासी सतीश कुमार सीआरपीएफ में सिपाही थे और जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। सतीश कुमार 20 मार्च 2015 को राज भाग थाना कठुआ जम्मू में शहीद हो गए थे। शहीद की बेटी निशा की शादी की जानकारी ग्रुप सेंटर सोनीपत को लगी तो उन्होंने बेटी की शादी में पिता की हर भूमिका निभाने की ठानी। शादी के दिन 23 नवंबर को छातर गांव में अपनी टीम के साथ पहुंचे। यहां पर बरात आने से लेकर विदाई तक हर सैनिक मुस्तैद रहा।
सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आकर शादी में बेटी के लिए पिता व बहन के लिए निभाई जाने वाली सभी रस्मों को अपने हाथों से निभाया। इसमें फेरे लेने से पहले वह फेरे लेते समय देने वाली रस्में, शादी के दौरान बहन व बेटी को स्टेज पर शादी के मंडप में बैठाने तक का हर कार्य किया। सीआरपीएफ टुकड़ी के साथ पूरे गांव ने बेटी को आशीर्वाद देकर विदा किया और उसके मंगल भविष्य की कामना की।