जानेमाने गांधीवादी सर्वोदयी नेता चौ. राममेहर नम्बरदार के निधन पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर किया शोक व्यक्त

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चौधरी राममेहर नम्बरदार का निधन 22 फरवरी को उनके पैतृक गांव ख़ूबड़ू में हो गया है। वे 81 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनकी तेहरवीं आगामी सोमवार 3 मार्च 2025 को सुबह 10 बजे ख़ूबड़ू में नंबरदार के निवास पर होगी। गौरतलब है कि डीएवी कॉलेज जालन्धर से एमएससी फिजिक्स शिक्षा प्राप्त राममेहर नम्बरदार विनोबा भावे के सहयोगी थे और भारतरत्न संत विनोबा स्व०राममेहर को कलेजे का टुकड़ा और जूनियर विनोबा नामों से बुलाते थे, नेता जी का पूरा जीवन समाज सेवा में समर्पित रहा और जीवन के आखिरी दिनों तक वो दिन में बीस बीस घंटे पढ़ा करते थे और मोबाइल यूनिवर्सिटी के नाम से मशहूर थे। हर विषय पर शानदार पकड़ के चलते दूर दूर से लोग उनसे मिलने आते थे हरियाणा में ग्रामदान भूदान आंदोलन को परवान चढ़ाने में चौधरी राममेहर नम्बरदार का बड़ा योगदान रहा है।
भारत के उपराष्ट्रपति रहे कृष्णकांत के पिता लाला अचिन्तराम भी भूदान आंदोलन में राममेहर नम्बरदार के लंबे समय तक साथी रहे थे। भारत में जितने भी बड़े सामाजिक आंदोलन हुए हैं उन सभी में राममेहर नम्बरदार ने बढ़ चढक़र हिस्सा लिया। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राममेहर नम्बरदार को विनोबा भावे से मिलवाया था। उसके बाद सन्त विनोबा और राममेहर नम्बरदार की जोड़ी ने पूरा जीवन ग्रामदान भूदान के नाम कर दिया।यही नहीं, पंजाब और हिमाचल में खादी ग्रामोद्योग की स्थापना के लिए राममेहर नम्बरदार का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनके इन अथक प्रयासों के चर्चे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक में पहुंचे। यही वजह है कि उनसे मिलने के लिए विदेशियों का तांता गांव ख़ूबड़ू में लगा रहता था, विश्व के 67 से भी ज्यादा देशों के लोग उनसे मिलने ख़ूबड़ू आ चुके हैं।