कैथल : को-ऑपरेटिव सोसाइटी भर्ती में हुआ घोटाला; 11 कर्मियों को नौकरी से किया ससपेंड

हरियाणा के कैथल के ग्रामीण क्षेत्रों में दो को-आप्रेटिव सोसायटियों में लगे 11 कर्मचारियों की भर्ती फर्जी पाई गई है। इनमें कुराड पैक्स के 6 और पाडला पैक्स के 5 कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया है। ये सेल्समैन, क्लर्क और पियन के पद पर लगे थे। इनकी भर्तियों को रद्द करने के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार कुरुक्षेत्र व सहायक डिप्टी रजिस्ट्रार कैथल की कोर्ट में केस चल रहे थे। जिसका निर्णय आने के बाद पैक्स कर्मियों को हटाया गया है।
मामले हैरानी की बात ये है कि विभाग द्वारा दोनों भर्तियों को तो रद्द कर दिया, परन्तु न तो भर्ती करने वाले किसी अधिकारी या पैक्स के सदस्य पर कार्रवाई की गई और न हटाए गए कर्मियों से वेतन की रिकवरी ली गई।
कैथल के ग्रामीण क्षेत्रों में बनी एक दर्जन से अधिक को-ऑपरेटिव सोसायटी में भी सैकड़ों युवाओं को गलत तरीके से नियुक्ति देकर नौकरी पर रखा है। अब तक 337 कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली के आरोप लग चुके हैं। इनमें सबसे बड़ी भर्ती साल 2021 में कैथल के सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में हुई है। इसमें 231 कर्मचारियों को सरकार द्वारा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगाने के दो दिन पहले ही बैक डेट में जॉइनिंग करवाने के आरोप लगे हैं।
रजिस्ट्रार सहकारी समितियां हरियाणा ने 12 अगस्त 2013 को अपने कार्यालय से पत्र जारी करते हुए प्रदेश के सभी उप रजिस्ट्रार को उनके अधीन सहकारी समितियों (पैक्स) में नई नियुक्ति व भर्ती न करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन इसके बाद भी जिले की कई सहकारी समितियां में विभागीय नियमों को दरकिनार करते हुए गलत तरीके से अपने निजी लोगों की भर्ती करनी पाई गई हैं।
ज्यादातर मामलों में कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए सहायक रजिस्ट्रार की अनुमति भी नहीं ली गई है। जबकि भर्ती के लिए जरूरी होती है। इसके साथ ही भर्ती के नियमों का पालन नहीं करना पाया गया है। कुछ भर्तियों में सहकारी समितियों के डायरेक्टर व मैनेजर द्वारा अपने परिवार के सदस्यों को नौकरी पर रखा गया है। इनके खिलाफ लोगों द्वारा शिकायत भी की गई है।
गांव पाडला निवासी नरेश ने अपने गांव की को-ऑपरेटिव सोसायटी में फर्जी भर्ती की शिकायत विभाग को दी थी। नरेश ने बताया कि उसके गांव की को-ऑपरेटिव सोसायटी में 10 युवकों को फर्जी तरीके से भर्ती किया गया है। कमेटी में शामिल एक पदाधिकारी ने अपने साले व जमाई को नियुक्ति दे दी, जबकि नियम के अनुसार कमेटी सदस्य अपने ब्लड रिलेशन में किसी को भर्ती नहीं कर सकते।
इसके अलावा किसी की खाद-बीज की दुकान है तो उसे भी भर्ती नहीं किया जा सकता, लेकिन पाडला को-ऑपरेटिव सोसायटी में भर्ती के समय नियमों को अनदेखा करके नियुक्ति दी गई हैं। भर्ती से पहले समाचार पत्र में विज्ञापन भी नहीं दिया गया। उसने विभाग को शिकायत दी थी।
कैथल को-ऑप्रेटिव सेंट्रल बैंक के महाप्रबंधक रणबीर बेनीवाल ने बताया कि पैक्सों में कर्मचारियों की भर्तियां करने से पहले मैनेजिंग कमेटी द्वारा सहकारी समितियां के ए.आर व डी.आर से भर्ती की परमिशन लेनी होती है। उसके बाद भर्ती का प्रस्ताव पास करके अखबार में इसका विज्ञापन निकालना होता है। इस सब के बाद लोगों के आवेदन लिए जाते हैं।
जिनकी स्क्रूटनी करने के बाद एक रिकमेंडेशन कमेटी होती है। जिसमें एआर, जीएम और दो कमेटी मेंबर होते हैं। जो चयनित किए गए कर्मचारियों को भर्ती करने की सिफारिश वापस मैनेजिंग कमेटी को भेजते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के बाद पैक्सो में कर्मचारियों की नियमानुसार भर्ती की जाती है।
मामले हैरानी की बात ये है कि विभाग द्वारा दोनों भर्तियों को तो रद्द कर दिया, परन्तु न तो भर्ती करने वाले किसी अधिकारी या पैक्स के सदस्य पर कार्रवाई की गई और न हटाए गए कर्मियों से वेतन की रिकवरी ली गई।
कैथल के ग्रामीण क्षेत्रों में बनी एक दर्जन से अधिक को-ऑपरेटिव सोसायटी में भी सैकड़ों युवाओं को गलत तरीके से नियुक्ति देकर नौकरी पर रखा है। अब तक 337 कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली के आरोप लग चुके हैं। इनमें सबसे बड़ी भर्ती साल 2021 में कैथल के सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में हुई है। इसमें 231 कर्मचारियों को सरकार द्वारा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगाने के दो दिन पहले ही बैक डेट में जॉइनिंग करवाने के आरोप लगे हैं।
रजिस्ट्रार सहकारी समितियां हरियाणा ने 12 अगस्त 2013 को अपने कार्यालय से पत्र जारी करते हुए प्रदेश के सभी उप रजिस्ट्रार को उनके अधीन सहकारी समितियों (पैक्स) में नई नियुक्ति व भर्ती न करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन इसके बाद भी जिले की कई सहकारी समितियां में विभागीय नियमों को दरकिनार करते हुए गलत तरीके से अपने निजी लोगों की भर्ती करनी पाई गई हैं।
ज्यादातर मामलों में कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए सहायक रजिस्ट्रार की अनुमति भी नहीं ली गई है। जबकि भर्ती के लिए जरूरी होती है। इसके साथ ही भर्ती के नियमों का पालन नहीं करना पाया गया है। कुछ भर्तियों में सहकारी समितियों के डायरेक्टर व मैनेजर द्वारा अपने परिवार के सदस्यों को नौकरी पर रखा गया है। इनके खिलाफ लोगों द्वारा शिकायत भी की गई है।
गांव पाडला निवासी नरेश ने अपने गांव की को-ऑपरेटिव सोसायटी में फर्जी भर्ती की शिकायत विभाग को दी थी। नरेश ने बताया कि उसके गांव की को-ऑपरेटिव सोसायटी में 10 युवकों को फर्जी तरीके से भर्ती किया गया है। कमेटी में शामिल एक पदाधिकारी ने अपने साले व जमाई को नियुक्ति दे दी, जबकि नियम के अनुसार कमेटी सदस्य अपने ब्लड रिलेशन में किसी को भर्ती नहीं कर सकते।
इसके अलावा किसी की खाद-बीज की दुकान है तो उसे भी भर्ती नहीं किया जा सकता, लेकिन पाडला को-ऑपरेटिव सोसायटी में भर्ती के समय नियमों को अनदेखा करके नियुक्ति दी गई हैं। भर्ती से पहले समाचार पत्र में विज्ञापन भी नहीं दिया गया। उसने विभाग को शिकायत दी थी।
कैथल को-ऑप्रेटिव सेंट्रल बैंक के महाप्रबंधक रणबीर बेनीवाल ने बताया कि पैक्सों में कर्मचारियों की भर्तियां करने से पहले मैनेजिंग कमेटी द्वारा सहकारी समितियां के ए.आर व डी.आर से भर्ती की परमिशन लेनी होती है। उसके बाद भर्ती का प्रस्ताव पास करके अखबार में इसका विज्ञापन निकालना होता है। इस सब के बाद लोगों के आवेदन लिए जाते हैं।
जिनकी स्क्रूटनी करने के बाद एक रिकमेंडेशन कमेटी होती है। जिसमें एआर, जीएम और दो कमेटी मेंबर होते हैं। जो चयनित किए गए कर्मचारियों को भर्ती करने की सिफारिश वापस मैनेजिंग कमेटी को भेजते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के बाद पैक्सो में कर्मचारियों की नियमानुसार भर्ती की जाती है।