दादरी : बेटों की तरह किया बेटियों का पालन पोषण; निकाली बेटियों की घुड़चढ़ी
बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं है। यह संदेश देने के लिए बलाली निवासी मांगेराम ने अपनी पोतियों की बेटों की तरह घुड़चढ़ी कराई। दोनों पोतिया घोड़ी पर सवार हुईं और लड़कों की तरह परिजनों ने अन्य रस्में निभाईं।
घोड़ी चढ़ने वालीं बेटियां नीरज और निशा दंगल गर्ल गीता व बबीता फोगाट के पैतृक गांव बलाली से हैं। शुक्रवार रात दोनों की घुड़चढ़ी निकाली गई और उनके पिता कपूर सिंह व दादा मांगेराम की इस पहला को ग्रामीणों ने सराहा। वहीं, घुड़चढ़ी में शामिल परिजनों ने गीतों पर नाचकर अपनी खुशी जाहिर की।
परिजनों ने बताया कि गांव बलाली में लड़कियों की घुड़चढ़ी निकालने से सभी ग्रामीण खुश हैं। परिवार ने बड़ी खुशी से लड़कियों का बेटे की तरह ही पालन-पोषण किया है। उनका उद्देश्य है कि समाज में लड़का-लड़की में भेदभाव न समझ लड़कियों को भी बेटे के बराबर दर्जा दिलाना है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज्योत्सना सांगवान ने परिजनों को बेटियों की घुड़चढ़ी निकालने के लिए जागरूक और प्रोत्साहित किया। बताया कि चरखी बलाली गांव पहले भी कई सराहनीय पहल कर चुका है। यहां हर घर में बेटी के नाम से ने प्लेट लगाने की शुरुआत भी की गई है।
घोड़ी चढ़ने वालीं बेटियां नीरज और निशा दंगल गर्ल गीता व बबीता फोगाट के पैतृक गांव बलाली से हैं। शुक्रवार रात दोनों की घुड़चढ़ी निकाली गई और उनके पिता कपूर सिंह व दादा मांगेराम की इस पहला को ग्रामीणों ने सराहा। वहीं, घुड़चढ़ी में शामिल परिजनों ने गीतों पर नाचकर अपनी खुशी जाहिर की।
परिजनों ने बताया कि गांव बलाली में लड़कियों की घुड़चढ़ी निकालने से सभी ग्रामीण खुश हैं। परिवार ने बड़ी खुशी से लड़कियों का बेटे की तरह ही पालन-पोषण किया है। उनका उद्देश्य है कि समाज में लड़का-लड़की में भेदभाव न समझ लड़कियों को भी बेटे के बराबर दर्जा दिलाना है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज्योत्सना सांगवान ने परिजनों को बेटियों की घुड़चढ़ी निकालने के लिए जागरूक और प्रोत्साहित किया। बताया कि चरखी बलाली गांव पहले भी कई सराहनीय पहल कर चुका है। यहां हर घर में बेटी के नाम से ने प्लेट लगाने की शुरुआत भी की गई है।