कुरुक्षेत्र के युवक की अमेरिका में मौत; 12 दिन बाद नसीब हुई वतन की मिट्टी

हरियाणा के कुरुक्षेत्र के युवक की अमेरिका में मौत हो गई। मौत के 12 दिन बाद कुरुक्षेत्र के इस्माईलाबाद के गांव ठसका मीरांजी के कृष्ण कुमार के शव को वतन की मिट्टी नसीब हो गई। सोमवार देर रात गांव ठसका मीरांजी में अमेरिका से उसका शव पहुंचा। परिवार को सांत्वना देने के लिए गांव व आसपास के गांव के लोगों की भीड़ लड़ गई। मंगलवार को कृष्ण कुमार का अंतिम संस्कार किया गया। मृतक कृष्ण कुमार के 10 वर्षीय बेटे ने मुखाग्नि दी।
28 जनवरी की रात को अमेरिका में रह रहे कृष्ण कुमार की काम से घर आते वक्त सड़क दुर्घटना में मौके पर ही मौत हो गई थी। मौत की सूचना मिलते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और परिवार लगातार कृष्ण के शव को भारत लाने के लिए प्रयास कर रहा था।
31 वर्षीय कृष्ण कुमार करीब आठ महीने पहले कनाडा गया था। कनाडा में दो महीने रुकने के बाद वह अमेरिका चला गया था। वह पेंसिल्वेनिया शहर में रह रहा था। इस शहर के नजदीक ही कृष्ण की बुआ का लड़का और जीजा भी रहते हैं। उन्होंने ही कृष्ण को अपने पास बुलाया था। कृष्ण कुमार रेस्टोरेंट में कुकिंग का काम करता था। 28 जनवरी को कृष्ण ड्यूटी से अपने दोस्त के साथ गाड़ी से घर लौट रहा था। इस दौरान उनकी कार का ट्रक के साथ एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें कृष्ण कुमार की मौके पर ही मौत हो गई थी। पूरा परिवार कृष्ण कुमार के अंतिम दर्शन की आस लगाए हुए था।
कृष्ण कुमार कर्ज लेकर कनाडा पहुंचा था। वह दो बहनों का इकलौता भाई था और परिवार में इकलौता कमाने वाला था। कृष्ण के पिता हरि सिंह पैरालाइज्ड है। करीब 12 साल पहले पीपली की रहने वाली सुनीता के साथ कृष्ण कुमार की शादी हुई थी। उनके 10 साल का बेटा प्रतीक और 3 साल का बेटा हर्षित है।
गांव के पूर्व सरपंच दिलबाग सिंह गुराया ने बताया कि परिवार कृष्ण कुमार के शव का भारत लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा था। अमेरिका में रह रहे परिजनों, संस्थाओं व परिवार की कोशिशों से आखिरकार सोमवार को करीब 11 बजे शव दिल्ली पहुंचा। दो से तीन घंटे इमीग्रेशन की कार्यवाही के बाद सोमवार देर रात कृष्ण कुमार का शव गांव पहुंचा। शव भारत लाने के लिए परिवार के 35 से 40 लाख रुपये खर्च हुए हैं। पहले ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा हुआ है और बेटे के अंतिम दर्शन के लिए भी उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को ऐसे मामलों में कोई सरल प्रक्रिया लागू करनी चाहिए ताकि परिवार को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।