पटियाला : खनौरी बॉर्डर पर बढ़ी किसानों की संख्या; आमरण अनशन पर बैठेंगे किसान नेता डल्लेवाल
फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी समेत कई मांगों के लिए शंभू और खनौरी बॉर्डर पर करीब 300 दिनों से जारी धरने में किसानों की संख्या बढ़ने लगी है। इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल मंगलवार को दोपहर 12 बजे से मरणव्रत पर बैठेंगे। इस मौके पर खनौरी बाॅर्डर पर बड़ी संख्या में किसान इकट्ठा होंगे।
सोमवार को किसानों के जत्थे खनौरी बाॅर्डर पर पहुंचना शुरू हो गए। इससे पहले डल्लेवाल ने फरीदकोट पहुंचकर अपनी सारी जमीन-जायदाद अपने पारिवारिक सदस्यों बेटे, बहू व पोते के नाम करा दी। डल्लेवाल ने कहा कि वह केवल औपचारिक तौर पर मरणव्रत पर नहीं बैठ रहे हैं, बल्कि किसानों की मांगों की पूर्ति के लिए अपनी जान देने के लिए भी तैयार हैं।
किसानों के हकों की लड़ाई वह अपने जीवन की आखिरी सांस तक लड़ेंगे। डल्लेवाल ने कहा कि अगर मरणव्रत के दौरान उनकी मौत हो जाती है, तो उनकी पार्थिव देह को उस समय तक बाॅर्डर पर ही रखा जाए, जब तक सरकार लिखित में मांगें नहीं मान लेती। उनके बाद किसान नेता सुखजीत सिंह हरदोझंडे मरणव्रत पर बैठेंगे। डल्लेवाल ने इस मौके पर किसानों से बड़ी संख्या में मंगलवार को खनौरी बाॅर्डर पर पहुंचने की अपील की।
मरणव्रत के कार्यक्रम से पहले सोमवार को खनौरी बाॅर्डर पर साफ-सफाई की गई। टेंट लगाकर पंडाल तैयार किया गया। डल्लेवाल ने बताया कि ठंड का मौसम है। आने वाले किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जमीन पर पहले पराली बिछाई गई है, जिस पर फिर दरी और गद्दे लगाकर ऊपर चादर बिछाई जाएगी। डल्लेवाल ने कहा कि रात को सोने के लिए ट्रैक्टर-ट्राॅली को तैयार किया गया है।
फरीदकोट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डल्लेवाल ने कहा कि जो किसान भारत को अनाज भंडार पैदा करके दे रहा है, केंद्र सरकार उसकी सुध नहीं ले रही। यही कारण है कि उन्हें इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है। किसानों को उनकी बात कहने के लिए राजधानी तक नहीं जाने दिया जा रहा, जो बहुत दुखद है। अब तक संयुक्त किसान मोर्चा शांतिपूर्वक संघर्ष कर रहा था, लेकिन केंद्र सरकार उनकी मांगों को लेकर संजीदा नहीं है, जिसके चलते उन्होंने अब मोर्चे की बैठ कर आर-पार की लड़ाई करने का निर्णय लिया है। किसी भी भाजपा नेता ने अब तक कोई संजीदा बयान नहीं दिया है।
भारतीय किसान नौजवान यूनियन हरियाणा के कन्वीनर अभिमन्यु सिंह कोहाड़ ने कहा की इस संघर्ष की शुरुआत जगजीत सिंह डल्लेवाल से की जा रही है। उसके बाद बलिदान देने के लिए अन्य किसान नेताओं की लाइन लगी हुई है। केंद्र सरकार को अब या तो उनकी मांगें माननी होंगी या फिर मांगें माने जाने तक किसान नेता अपना बलिदान देते रहेंगे।
सोमवार को किसानों के जत्थे खनौरी बाॅर्डर पर पहुंचना शुरू हो गए। इससे पहले डल्लेवाल ने फरीदकोट पहुंचकर अपनी सारी जमीन-जायदाद अपने पारिवारिक सदस्यों बेटे, बहू व पोते के नाम करा दी। डल्लेवाल ने कहा कि वह केवल औपचारिक तौर पर मरणव्रत पर नहीं बैठ रहे हैं, बल्कि किसानों की मांगों की पूर्ति के लिए अपनी जान देने के लिए भी तैयार हैं।
किसानों के हकों की लड़ाई वह अपने जीवन की आखिरी सांस तक लड़ेंगे। डल्लेवाल ने कहा कि अगर मरणव्रत के दौरान उनकी मौत हो जाती है, तो उनकी पार्थिव देह को उस समय तक बाॅर्डर पर ही रखा जाए, जब तक सरकार लिखित में मांगें नहीं मान लेती। उनके बाद किसान नेता सुखजीत सिंह हरदोझंडे मरणव्रत पर बैठेंगे। डल्लेवाल ने इस मौके पर किसानों से बड़ी संख्या में मंगलवार को खनौरी बाॅर्डर पर पहुंचने की अपील की।
मरणव्रत के कार्यक्रम से पहले सोमवार को खनौरी बाॅर्डर पर साफ-सफाई की गई। टेंट लगाकर पंडाल तैयार किया गया। डल्लेवाल ने बताया कि ठंड का मौसम है। आने वाले किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जमीन पर पहले पराली बिछाई गई है, जिस पर फिर दरी और गद्दे लगाकर ऊपर चादर बिछाई जाएगी। डल्लेवाल ने कहा कि रात को सोने के लिए ट्रैक्टर-ट्राॅली को तैयार किया गया है।
फरीदकोट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डल्लेवाल ने कहा कि जो किसान भारत को अनाज भंडार पैदा करके दे रहा है, केंद्र सरकार उसकी सुध नहीं ले रही। यही कारण है कि उन्हें इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है। किसानों को उनकी बात कहने के लिए राजधानी तक नहीं जाने दिया जा रहा, जो बहुत दुखद है। अब तक संयुक्त किसान मोर्चा शांतिपूर्वक संघर्ष कर रहा था, लेकिन केंद्र सरकार उनकी मांगों को लेकर संजीदा नहीं है, जिसके चलते उन्होंने अब मोर्चे की बैठ कर आर-पार की लड़ाई करने का निर्णय लिया है। किसी भी भाजपा नेता ने अब तक कोई संजीदा बयान नहीं दिया है।
भारतीय किसान नौजवान यूनियन हरियाणा के कन्वीनर अभिमन्यु सिंह कोहाड़ ने कहा की इस संघर्ष की शुरुआत जगजीत सिंह डल्लेवाल से की जा रही है। उसके बाद बलिदान देने के लिए अन्य किसान नेताओं की लाइन लगी हुई है। केंद्र सरकार को अब या तो उनकी मांगें माननी होंगी या फिर मांगें माने जाने तक किसान नेता अपना बलिदान देते रहेंगे।