अब अंधे भी देख पाएंगे रंगीन दुनिया; रिसर्चर ने बनाया AI आधारित चश्मा

अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में सेंसर प्रणाली पर रिसर्च कर रहे भारतीय युवा शोधविज्ञानी ने कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) की मदद से ऐसा चश्मा तैयार किया है जो दृष्टिबाधित लोगों को दृष्टि देने के साथ उनके लिए दिमाग काम भी करेगा।
चश्मे के प्रोटोटाइप को अमेरिका के खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) की मंजूरी मिल गई है और भारत में पेटेंट फाइल कर दिया गया है। मुंबई में 17 से 19 दिसंबर तक आयोजित होने जा रहे आईआईटी बंबई के सबसे बड़े टेकफेस्ट में इस चश्मे को प्रदर्शित किया जाएगा।
‘विजन प्रो’ नाम से इस खास चश्मे की तकनीक विकसित करने वाले हार्वर्ड के शोधकर्ता मुनीर खान ने बोस्टन से फोन पर अमर उजाला से बातचीत में बताया कि चश्मे का निर्माण उत्तर भारत में गुरुग्राम और पश्चिम भारत में पुणे की एक कंपनी में कराया जाएगा, इसीलिए उनके स्टार्टअप कैडर टेक्नोलॉजी ने इसका पेटेंट भी हरियाणा से ही फाइल किया है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के मूल निवासी अमेरिकी शोधविज्ञानी मुनीर खान के मुताबिक, चश्मा दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए उसका डाटाबेस तैयार करता रहेगा। जो वस्तु, व्यक्ति या रास्ता एक बार चश्मा लगाने वाला व्यक्ति देख लेगा, उसका डाटा सदा के लिए विजन-प्रो डिवाइस में संग्रह हो जाएगा। इसी तरह रोशनी, तापमान, चूल्हे की लपट और तरह-तरह की आवाज का डाटा भी चश्मे की डिवाइस के डाटाबेस में जमा होता जाएगा। कुछ दिनों के अभ्यास से चश्मा लगाने वाला दृष्टिहीन डोरबेल पर दरवाजा खोलना, पहचान वाले शख्स को ही अंदर आने देना, दैनिक क्रियाएं खुद करना आसानी से सीख जाएगा। जैसे डाटाबेस बढ़ता जाएगा, चश्मा लगाने वाले दृष्टिहीन के लिए सहूलियत बढ़ती जाएगी और अपने आप तय समय पर तय जगह रखी दवाई तक ले सकेगा।
1. यह नार्मल चश्मे की तरह रहेगा, लेकिन लगातार तीन से चार घंटे लगाने के बाद दृष्टि और दिमाग को थोड़ा
आराम देना होगा। इससे मशीन में डाटाबेस निर्माण का काम रुकेगा और वह ठंडी रहेगी।
2. एक बार बैटरी चार्ज होने के बाद (जो बिजली से होगी), इसे लगातार सात से आठ घंटे तक चलाया जा सकेगा।
बैटरी के काम के घंटे और ज्यादा बढ़ाने पर काम किया जा रहा। इसकी कार्यावधि 12 घंटे करेंगे।
3.चश्मा 100 मीटर तक की वस्तुओं और व्यक्तियों को स्पष्ट देख (विजुएलाइज कर) सकेगा। साथ ही 30 मीटर
तक छोटे से छोटे (मच्छर, मक्खी और धूल-धुआं तक) व्यवधान को पहचान लेगा व चेतावनी देगा।