हरियाणा: चार जिलों में भारी बारिश की चेतावनी: 31 अगस्त तक सक्रिय रहेगा मानसून

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(खुशी, सोनीपत) हरियाणा में मानसून एक बार फिर तेज हो गया है| मौसम विभाग ने आज चार जिलों के लिए बारिश की चेतावनी जारी की है| इनमें पलवल, फ़रीदाबाद, नूंह और रेवाड़ी शामिल हैं| कल, 28 अगस्त को कैथल, करनाल, सोनीपत, झज्जर, गुरूग्राम, फ़रीदाबाद, नूंह, पलवल और रेवाड़ी शहरों में भारी बारिश की भी संभावना है। राज्य में 31 अगस्त तक गंभीर मौसम जारी रहने की आशंका है। मानसून सीजन के दौरान बारिश की बात करें तो राज्य में अब तक 59 फीसदी बारिश हो चुकी है| वैसे तो राज्य में 326.2% बारिश होती है, लेकिन इस बार सिर्फ 266.8% ही हुई है। वहीं यदि अगस्त की बात करें तो राज्य में 101.8 मिमी सामान्य बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक 135.6 मिमी बारिश हुई है।
सोमवार दोपहर कई इलाकों में मौसम बदल गया। महेंद्रगढ़, हिसार और गुरुग्राम समेत कई इलाकों में बारिश हुई| बारिश के कारण कई जगहों पर जलभराव हो गया| कई इलाकों में घंटों बिजली गुल रही। सबसे ज्यादा बारिश महेंद्रगढ़ में हुई, जहां 38.5 मिमी बारिश हुई| इसके अलावा नारनौल में 20 मिमी बारिश हुई| रेवाड़ी में 6.0 मिमी और फ़रीदाबाद में 5.5 मिमी बारिश हुई। इन जिलों के अलावा, गुरुग्राम, सोनीपत, पानीपत और करनाल में भी मौसम में बदलाव हुआ और यहां भी हल्की बारिश हुई।
16 जिलों में मानसूनी बारिश सामान्य से कम रही। इनमें कैथल, करनाल और पंचकुला जिले शामिल हैं, जहां सामान्य से आधे से भी कम बारिश हुई। हिसार, जींद, यमुनानगर, पलवल और रोहतक जिलों में सामान्य से 30 फीसदी कम बारिश हुई| महेंद्रगढ़ और नूंह जिले में जमकर बारिश हुई| नूंह में सामान्य से 63 फीसदी अधिक बारिश हुई, जबकि महेंद्रगढ़ जिले में सामान्य से 51 फीसदी अधिक बारिश हुई|
मानसून ट्रफ दिल्ली के उत्तर में निचले स्तर पर स्थानांतरित हो गया है, जिससे सतही हवा पश्चिम की ओर स्थानांतरित हो गई है। नमी कम होने से पश्चिमी हवाएं तापमान बढ़ा रही हैं, लेकिन अब मानसून के दोबारा सक्रिय होने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में प्रदेश में बारिश की संभावना बनी हुई है|
इस जुलाई में हरियाणा में पांच साल में सबसे कम बारिश हुई। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2018 में 549 मिमी बारिश हुई थी| 2019 में केवल 244.8 मिमी, 2020 में 440.6 मिमी, 2021 में 668.1 मिमी, 2022 में 472 मिमी, 2023 में 390 मिमी और 2024 में 97.9 मिमी वर्षा दर्ज की गई। कम वर्षा के कारण राज्य में चावल उगाने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है।