अनुसूचित जाति के बच्चों के भविष्य को गर्त में डाल रही है भाजपा - कुमारी शैलजा
फसल खराब होने से परेशान किसानों को प्रताड़ित कर रही भाजपा - जजपा सरकार
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने केंद्र की भाजपा सरकार के शिक्षा और अनुसूचित जाति वर्ग के प्रति उदासीन रवैये पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह सरकार अनुसूचित जाति के बच्चों के भविष्य को गर्त में डाल रही है। वहीं उन्होंने प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार पर फसल खराब होने से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने के नाम पर परेशान करने का आरोप लगाया है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि इस योजना में पोस्ट मैट्रिक छात्र छात्राओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान होती थी, लेकिन 2020-21 में मंत्रालय ने इसे फेरबदल कर दिया, जिसके दिशा निर्देशों के अनुसार केंद्र अपना हिस्सा तबतक जारी नहीं कर सकता जब तक कि राज्य अपना हिस्सा वितरित न कर दें। इसका सीधा असर अनुसूचित जाति के छात्र छात्राओं की शिक्षा पर पड़ा है क्योंकि अधिकांश राज्य सरकारों ने अपना हिस्सा जारी नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की लापरवाही के कारण कक्षा 11वीं और 12वीं के 66 लाख अनुसूचित जाति के बच्चों की छात्रवृत्ति प्रभावित हो रही है। कुमारी सैलजा ने कहा कि पिछले दो वर्षों से योजना के तहत कवर लिए गए छात्रों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन केंद्र अपना निर्धारित धन उपयोग करने में असमर्थ है। उन्होंने कहा कि 2021-22 में, केंद्र ने 3,415.62 करोड़ रुपये निर्धारित किए थे, लेकिन केवल 1,978.56 करोड़ रुपये का ही उपयोग किया जा सका।
वहीं कुमारी सैलजा ने कहा कि बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों की जानकारी देने के लिए किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार द्वारा मेरी फसल मेरा ब्यौरा और क्षतिपूर्ति पोर्टल खोलने के आदेश के बावजूद दोनों में ही तकनीकी दिक्कतें खड़ी हो रही हैं। इसके चलते किसान न तो फसल का पंजीकरण करवा पा रहे हैं और न ही फसल के खराब होने की जानकारी अपलोड कर पा रहे हैं।
किसानों का कहना है कि क्षतिपूर्ति पोर्टल को सिर्फ 72 घंटे के लिए खोला गया था। अब वे अपना खराबा दर्ज कराने के लिए इसे ओपन कर रहे हैं तो खुल ही नहीं रहा, जबकि भयंकर नुकसान को देखते हुए सरकार ने इसे फिर से खोलने का आश्वासन दिया था। कुमारी सैलजा ने कहा कि सबसे अधिक परेशानी उन किसानों को आ रही है, जिन्होंने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपनी फसल की विस्तृत जानकारी नहीं दी थी। इन किसानों की सुविधा के लिए दोनों ही पोर्टल को खोले जाने की जरूरत है, ताकि नुकसान की एवज में इन्हें भी सरकारी स्तर पर कोई मदद मिल सके।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो किसान दोनों पोर्टल पर अपने आवेदन कर चुके हैं, वहां पटवारियों व तहसीलदारों ने खेल शुरू कर दिया है। बीमा कंपनियों व सरकार के ईशारे पर इन्होंने नुकसान का आंकलन कम से कम करना शुरू कर दिया है। किसानों का आरोप है कि जिनकी फसल शत-प्रतिशत बर्बाद हो चुकी है, उसके सिर्फ 50-60 प्रतिशत ही खराब होने की सरकारी रिपोर्ट जमा कराई जा रही है। ताकि, अभी से किसानों को कम से भुगतान करने का बेस बनाया जा सके।
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