करनाल : 70 वर्षीय दंपती ने लिया तलाक; पल भर में खत्म हुई 43 साल की शादी
हरियाणा के करनाल के एक 70 वर्षीय दंपती ने तलाक लिया है। दंपती ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की मध्यस्थता एवं सुलह केंद्र के हस्तक्षेप से आधिकारिक रूप से अपनी शादी को समाप्त कर दिया है।
इस मामले में पति ने स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी को 3.07 करोड़ रुपये देने के असाधारण समझौते पर भी सहमति जताई है। समझौते को पूरा करने के लिए उसने अपनी प्रमुख कृषि भूमि भी बेच दी है।
दंपती का विवाह 27 अगस्त, 1980 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ था। दोनों की दो बेटियां और एक बेटा है। मतभेदों के कारण दोनों पक्षों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। दोनों 8 मई, 2006 से अलग-अलग रहने लगे थे।
जनवरी 2013 में करनाल न्यायालय ने तलाक के लिए दायर की गई उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने विवाह विच्छेद के लिए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
हाईकोर्ट ने मामले को समझौते की संभावनाओं के लिए मध्यस्थता एवं सुलह केंद्र को भेज दिया। मध्यस्थता कार्रवाई के दौरान, अलग रह रही पत्नी और तीनों बड़े बच्चों सहित सभी पक्षों ने पति द्वारा 3 करोड़ सात लाख रुपये का भुगतान करने पर विवाह को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की। यह राशि सभी उद्देश्यों के लिए स्थायी गुजारा भत्ता मानी जाएगी।
पत्नी और उसके बच्चों का प्रथम पक्ष या उसके उत्तराधिकारियों के खिलाफ किसी भी तरह का कोई दावा नहीं होगा। प्रथम पक्ष की मृत्यु के बाद भी, द्वितीय और तृतीय पक्ष (बच्चे) प्रथम पक्ष द्वारा उसकी मृत्यु के समय छोड़ी गई संपत्ति पर कोई दावा नहीं करेंगे, जो द्वितीय और तृतीय पक्ष को छोड़कर उत्तराधिकार के अनुसार हस्तांतरित होगी।
इस मामले में पति ने स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी को 3.07 करोड़ रुपये देने के असाधारण समझौते पर भी सहमति जताई है। समझौते को पूरा करने के लिए उसने अपनी प्रमुख कृषि भूमि भी बेच दी है।
दंपती का विवाह 27 अगस्त, 1980 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ था। दोनों की दो बेटियां और एक बेटा है। मतभेदों के कारण दोनों पक्षों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। दोनों 8 मई, 2006 से अलग-अलग रहने लगे थे।
जनवरी 2013 में करनाल न्यायालय ने तलाक के लिए दायर की गई उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने विवाह विच्छेद के लिए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
हाईकोर्ट ने मामले को समझौते की संभावनाओं के लिए मध्यस्थता एवं सुलह केंद्र को भेज दिया। मध्यस्थता कार्रवाई के दौरान, अलग रह रही पत्नी और तीनों बड़े बच्चों सहित सभी पक्षों ने पति द्वारा 3 करोड़ सात लाख रुपये का भुगतान करने पर विवाह को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की। यह राशि सभी उद्देश्यों के लिए स्थायी गुजारा भत्ता मानी जाएगी।
पत्नी और उसके बच्चों का प्रथम पक्ष या उसके उत्तराधिकारियों के खिलाफ किसी भी तरह का कोई दावा नहीं होगा। प्रथम पक्ष की मृत्यु के बाद भी, द्वितीय और तृतीय पक्ष (बच्चे) प्रथम पक्ष द्वारा उसकी मृत्यु के समय छोड़ी गई संपत्ति पर कोई दावा नहीं करेंगे, जो द्वितीय और तृतीय पक्ष को छोड़कर उत्तराधिकार के अनुसार हस्तांतरित होगी।