Lalu Prasad : करोड़ों की जमीन कौड़ियों में लेकर फंसे लालू-राबड़ी

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Lalu Prasad : करोड़ों की जमीन कौड़ियों में लेकर फंसे लालू-राबड़ी

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सीबीआई ने पूछताछ के लिए समन जारी किया


Lalu Prasad : दिल्ली की एक अदालत ने जमीन के बदले नौकरी घोटाले के सिलसिले में सोमवार को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और 14 अन्य लोगों को तलब किया। जानकारी के मुताबिक, यह मामला प्रसाद के परिवार को 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहने के दौरान उपहार में दी गई या बेची गई जमीन के बदले रेलवे में की गई नियुक्तियों से जुड़ा है। 

CBI के अनुसार इस तरह से लालू यादव के परिवार ने बिहार में 1 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख रुपए में हासिल कर ली, जबकि उस समय के सर्कल रेट के अनुसार जमीन की कीमत करीब 4.39 करोड़ रुपए थी। खास बात ये है कि लैंड ट्रांसफर के ज्यादातर केस में जमीन मालिक को कैश में भुगतान किया गया।

जानकारी के मुताबिक, CBI ने मई में लालू के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव समेत लालू के करीबियों और परिजनों के 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी। CBI ने इस मामले में इस साल मई में लालू यादव, उनकी पत्नी और पूर्व CM राबड़ी देवी, उनकी बेटियों मीसा यादव और हेमा यादव के अलावा नौकरी पाने के बदले में कम कीमत में जमीन देने वाले कुछ अयोग्य उम्मीदवारों समेत 16 लोगों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी। 

आरोपी व्यक्तियों को 15 मार्च को अदालत में पेश होने का निर्देश  

जानकारी के अनुसार, चार्जशीट और रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों और सामग्री का एक अवलोकन, प्रथम दृष्टया, धारा 120, धारा 420, 467 के साथ पढ़े गए अपराधों के तहत अपराध दिखाता है। 468 और 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराएं। जानकारी के मुताबिक, जुलाई 2022 में, सीबीआई ने भोला यादव को गिरफ्तार किया, जो इस मामले में रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद के विशेष कार्य अधिकारी हुआ करते थे।16 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के अपराधों के लिए पिछले साल 10 अक्टूबर को आरोप पत्र दायर किया गया था।

प्रसाद की बेटी मीसा भारती, मध्य रेलवे की पूर्व महाप्रबंधक सौम्या राघवन, पूर्व सीपीओ रेलवे कमल दीप मैनराय, स्थानापन्न के रूप में नियुक्त सात उम्मीदवारों और चार निजी व्यक्तियों का भी नाम है। जानकारी के मुताबिक, FRI में आरोप लगाया गया था कि बिहार में पटना के निवासी होते हुए भी कुछ लोगों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में 2004-2009 की अवधि के दौरान ग्रुप-डी के पदों पर स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था। 

इसके एवज में, व्यक्तियों ने खुद या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी जमीन प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एक कंपनी, एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर स्थानांतरित कर दी, जिसे बाद में प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने ले लिया। वह जमीन जिसे प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने विक्रेताओं से प्रचलित सर्किल रेट से कम दर पर सीधे खरीदा था। जमीन का प्रचलित बाजार मूल्य सर्किल रेट से काफी अधिक था।

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